FOUNDATION FOR ORGANIC & RURAL DEVELOPMENT

BLOG

जैविक खेती

(Organic Farming)
परिचय
प्राचीन काल में मानव स्वास्थ्य के अनुकुल तथा प्राकृतिक वातावरण के अनुरूप खेती की जाती थी, जिससे जैविक और अजैविक पदार्थों के बीच आदान-प्रदान का चक्र निरन्तर चलता रहता था, जिसके फलस्वरूप जल, भूमि, वायु तथा वातावरण प्रदूषित नहीं होते थे। भारत वर्ष में प्राचीन काल से कृषि के साथ-साथ गौ पालन किया जाता था, जिसके प्रमाण हमारे ग्रंथों में प्रभु कृष्ण और बलराम हैं जिन्हें हम गोपाल एवं हलधर के नाम से संबोधित करते हैं अर्थात कृषि एवं गोपालन संयुक्त रूप से अत्याधिक लाभदायी था, जो कि प्राणी मात्र व वातावरण के लिए अत्यन्त उपयोगी था। परन्तु बदलते परिवेश में विश्व की बढ़ती हुई जनसंख्या एक गंभीर विषय एवं समस्या है और बढ़ती हुई जनसंख्या को भर पेट भोजन उपलब्ध कराने के लिए कृषि के उन बिभिन्न तरीकों का प्रयोग किया जाने लगा है जिनसे अधिक से अधिक उत्पादन लिया जा सके। इन्हीं में से कन्वेंशनल तरीका एक है जिसमे अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए तरह-तरह के रासायनिक खादों, जहरीले कीटनाशकों का उपयोग किया जाने लगा है, इस तरीके से भले ही उत्पादन में वृद्धि हुई हो परन्तु इसने प्रकृति के जैविक और अजैविक पदार्थों के बीच आदान-प्रदान के चक्र (इकालाजी सिस्टम) को प्रभावित किया है, जिससे न कि भूमि की उर्वरा शक्ति खराब हो गई है बल्कि मिट्टी में निवास करने वाले लाभकारी जिवाणु और वनस्पती भी नष्ट हो गए है, जमीन के अंदर के पानी के अतिरिक्त वातावरण भी प्रदूषित हो गया है। प्रदूषित वातावरण एवं कृत्रिम रसायनों के प्रयोग से उत्पन्न कृषि उत्पाद भी रसायनयुक्त हो गए है और उनके सेवन से मनुष्य के स्वास्थ्य को भारी नुकसान पहुँच रहा है। उपरोक्त सभी समस्याओं का निदान जैविक खेती में पाया गया है। नतीजन एक अनुमान के अनुसार विश्व का जैविक बाजार जो 1992 में 3-4 बिलियन डॉलर का था बढ़कर वर्ष 2012 में 64 बिलियन डॉलर का हो गया है। इतना हि नहि जैविक खेती 10% से भी अधिक की वार्षिक दर से वृद्धि कर रही है।
जैविक खेती से होने वाले लाभ
कृषकों की दृष्टि से लाभ
  • भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि हो जाती है।
  • सिंचाई अंतराल में वृद्धि होती है ।
  • रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होने से लागत में कमी आती है।
  • फसलों की उत्पादकता में वृद्धि।
मिट्टी की दृष्टि से
  • जैविक खाद के उपयोग करने से भूमि की गुणवत्ता में सुधार आता है।
  • भूमि की जल धारण क्षमता बढ़ती हैं।
  • भूमि से पानी का वाष्पीकरण कम होता है।
पर्यावरण की दृष्टि से
  • भूमि के जल स्तर में वृद्धि होती है।
  • मिट्टी, खाद्य पदार्थ और जमीन में पानी के माध्यम से होने वाले प्रदूषण मे कमी आती है।
  • कचरे का उपयोग खाद बनाने में करने से बीमारियों में कमी आती है ।
  • फसल उत्पादन की लागत में कमी एवं आय में वृद्धि।
  • अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्पर्धा में जैविक उत्पाद की गुणवत्ता का खरा उतरना।
जैविक खेती मृदा की उर्वरता एवं कृषकों की उत्पादकता बढ़ाने में पूर्णत: सक्षम है। वर्षा आधारित क्षेत्रों में जैविक खेती की विधि और भी अधिक लाभदायक है । जैविक विधि द्वारा खेती करने से उत्पादन की लागत तो कम होती ही है इसके साथ ही आय भी अधिक प्राप्त होती है तथा अंतराष्ट्रीय बाजार की स्पर्धा में जैविक उत्पाद अधिक खरे उतरते हैं। आधुनिक समय में निरन्तर बढ़ती हुई जनसंख्या, पर्यावरण प्रदूषण, भूमि की उर्वरा शक्ति का संरक्षण एवं मानव स्वास्थ्य के लिए जैविक खेती की राह अत्यन्त लाभदायक है । मानव जीवन के सर्वांगीण विकास के लिए नितान्त आवश्यक है कि प्राकृतिक संसाधन प्रदूषित न हों, शुद्ध वातावरण रहे एवं पौषि्टक आहार मिलता रहे, इसके लिये हमें जैविक खेती की कृषि पद्धतियों को अपनाना होगा जोकि हमारे नैसर्गिक संसाधनों एवं मानवीय पर्यावरण को प्रदूषित किये बगैर समस्त जनमानस को खाद्य सामग्री उपलब्ध करा सके तथा हमें खुशहाल जीने की राह दिखा सके।
पारम्परिक ज्ञान पर आधारित खाद एवं दवाईयाँ
जैविक खादें
  • नाडेप
  • बायोगैस स्लरी
  • वर्मी कम्पोस्ट
  • हरी खाद
  • जैव उर्वरक (कल्चर)
  • गोबर की खाद
  • नाडेप फास्फो कम्पोस्ट
  • पिट कम्पोस्ट (इंदौर विधि)
  • पोल्ट्री की खाद
जैविक पद्धति द्वारा व्याधि नियंत्रण
  • गौ-मूत्र
  • नीम- पत्ती का घोल/निबोली/खली
  • मट्ठा
  • मिर्च/ लहसुन
  • लकड़ी की राख
  • गोबर की खाद
  • नीम व करंज खली
जैविक खेती का उदेश्य:
  • कार्बनिक खादों का उपयोग ।
  • जीवाणु खादों का प्रयोग ।
  • फसल अवशेषों का उचित उपयोग
  • जैविक तरीकों द्वारा कीट व रोग नियंत्रण
  • फसल चक्र में दलहनी फसलों को अपनाना ।
  • मृदा संरक्षण क्रियाएं अपनाना ।

जैविक खेती का महत्व:

  • भूमि की उर्वरा शक्ति में टिकाउपन।
  • जैविक खेती प्रदुषण रहित।
  • कम पानी की आवश्यकता।
  • पशुओं का अधिक महत्व।
  • फसल अवशेषों को खपाने की समस्या नहीं ।
  • अच्छी गुणवत्ता की पैदावार ।
  • कृषि मित्रजीव सुरक्षित एवं संख्या में बढोतरी ।
  • स्वास्थ्य में सुधार।
  • कम लागत ।
  • अधिक लाभ।
जैविक खादों के प्रयोग से होने वाले लाभ:
  • रासायनिक खाद के साथ-साथ जैविक खादों के उपयोग से पैदावार अधिक मिलती है तथा भूमि की उपजाऊ शक्ति भी कम नहीं होती।
  • इससे सूक्ष्म तत्वों की कमी पूरी होती है जो फसलों के लिए अति आवश्यक है।
  • इसके उपयोग से मिट्टी की संरचना में सुधार होता है जिससे उसकी उपजाऊ शक्ति बढ़ती है।
  • जैविक खाद से मिट्टी में लाभदायाक सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ती है जो फसलों को उपयोगी तत्व उपलब्ध करवाते हैं।
  • जैविक खादों के उपयोग से जल व वायु प्रदूषण नहीं होता है जो कि सामान्य जीवन के लिए अति आवश्यक है।